Friday, 2 March 2012

दुखांत दृश्य है पुरुष यहां अदृश्य है


सुबह स्कूल गई गांव की लड़की
दोपहर को औरत होकर घर लौटी है
वह पुलकित है अनुभव अबोध से
भयभीत है अपराध बोध से
उसकी झोली में हैं सपने उपहार के
द्वंद्व चल रहा है उसके मस्स्तिष्क में
कानों से टकरा रही हैं गूंज--गांव में हो रही मुनादी की
कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य शिविर
लगेगा कल चौपाल में
शिविर में आएगी महिला एवं बाल रोग विशेषज्ञ।

एक ही दिन में औरत बन गई लड़की
मुनादी सुनकर विचलित हो गई है
उसे लग रहा है
जैसे उसकी दुनिया विभाजित हो गई है
डूबी है वह सोच में :
कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई कोख में
उसके मस्तिष्क में गूज रहा  है स्वास्थ्य शिविर
आंखों में घुमड़ रहा है अंधकार का विविर
उसे तूफानों के मचलने का आभास हो रहा है
हवा में उसे महसूस होती है कड़वाहट
उसे चिन्ता सता रही है :
पारिवारिक रिश्तों के कसाई होने की
जगहंसाई होने की
उसका विश्वास डगमगा रहा है
चिन्ता में है लड़की...
लड़की में है औरत...
औरत में है कोख...
दुखान्त दृश्य है
पुरुष यहां अदृश्य है।

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