मेरे अन्दर के जानवर ने
अनेक बार मुझे नीचा दिखाया है
जब से मैंने होश संभाला है
मेरा इससे युद्ध जारी है
ज्यादातर यही हावी रहा है मुझ पर
मैं हल्का रहा हूं
पर मैंने हिम्मत नहीं हारी है
ज़िदा है मेरा अहसास
कि मैं इंसान हूं।
मेरे अन्दर का जानवर
वहशी है और डरपोक भी
अपनी शैतानियत ये ललचाता और फंसाता रहा है मुझे
हंगामा बरपा है जब भी कभी मुझ पर
यह दुम दबाकर भाग गया है वहां से
मैं प्रगति की सीढ़ियों के नीचे गिरा हूं
हर बार इसने मुझ पर व्यंग्य किया है कि मैं सिरफिरा हूं
मैंने पकड़ ली है इसकी कमजोरी
यह किताब से डरता है
जब-जब किताब होती है मेरे हाथ में
यह से व्यंग्य करता है
गिर-गिर कर संभालता आया हूं मैं अपने को
उम्मीद है अब नहीं गिरूंगा
जब तक अपने अंन्दर के जानवर को नहीं मार दूंगा
मैं नहीं मरूंगा
अब मेरे चारों ओर किताबें हैं
मैं किताबों के अध्ययन में डूबा हूं
मेर हाथ में भी है किताब
खत्म होने वाला है अब मेरे दुश्मन का हिसाब
मेरा अन्दर का जानवर अब लुंज-पुंज हो गया है
धीमी-धीमी सांसें चल रही हैं उसकी।
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