Tuesday, 21 February 2012

तारक हथियार


शिष्य ने कहा--गुरुदेव!
मुझे धातु से बने मारक हथियार नहीं,
धतुहीन तारक हथियार चाहिए
जो जीवन किसी का न लें
बल्कि जीवनदान दें
जो मुर्दे में जान भले न डाल पाएं
किन्तु घायल के लिए मरहम बन जाएं।

गुरु ने कहा--वत्स!
मृदुलता, विनम्रता, सहृदयता,
उदारता, सहनशीलता, क्षमा, त्याग
और मानवता के लिए अनुराग
ये गुण हर मानव में विद्यमान हैं
तुम अपने अंतरमन के गुण-अवगुणों के ढेर से
छांट-छांटकर जिस दिन इन्हें धारण कर लोगे
तारक अस्त्र से सुसज्जित हो जाओगे
सज्जन बन जाओगे।

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